खबर-नामा
दीन दुनिया की ख़बरें सारी ले आया है अखबार
कल की हर घटना मैं हुआ शामिल कल का वार
ये भी खरीदो, या कुछ बेचो, ऐसा ही है इश्तहार
खबर सब नयी है, बात पुरानी, कहता है अखबार
कल के देश, साथी औ’ होनी गयीं कहाँ पर बीत
आज के देश, साथी औ’ होनी सभी बेसुरा संगीत
नाम-काम, दाम-जाम हैं पुराने, नवेले इनके गीत
नई बातों से बनता इतिहास, प्यारे लगते अतीत
बड़े-बड़े बेतरतीब हवा में उड़ते सफ़ेद-स्याह पन्ने
किसी पागल के बेसुध अट्टाहास में डूबे ये पन्ने
दोहरा रहें खबर वही आजकी बेतरतीब सजे पन्ने
तारीख कोई भी हो, न होते पुराने कागज़ के पन्ने
२००५
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