खिलवाड़
- Naveen Trigunayat
- Aug 22, 2020
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खिलवाड़
कहा भोंरे ने कलि से, “जरा मुस्काओ”
बोली कलि, “तुम और ज़रा पास आओ“
फिरतो लज्जा से वह हुई और भी लाल
भोंरा खुश था, उसका भी हुआ बुरा हाल
अपनी इस बात से वह इतना शर्मसार हुआ
अकेला गुन-गुन करता बगिया के पार हुआ
फिर कुछ हिम्मत करके वोह वापस आया
देख सुन्दर कलि को वह मन में इतराया
बहुत प्यार से कलिने उसको किया इशारा
सोचा मन में उसने यह मौका न मिले दुबारा
बेदर्दी भोंरा अपना दिल अपना संभाल रहा था
कलि के सुन्दर सपने आँखों में डाल रहा था
जब न रहा गया, झटपट पहुंचा कली के पास
अब कली भी खुश थी हुई पूरी, मिलन की आस
दोनोको शीतके मौसम में हुआ गर्मी का अहसास
दिल मिल के , सोगए, तन और मन पास-पास
२००७
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