तुम भी ! बस......
बात कोई मेरी कभी तुम सुनते ही नहीं
बड़ी झल्लाहट से भरी बोली मेरी पत्नी
मैं खैरख्वाह हूँ तुम्हारी, कोई गैर तो नहीं
प्यार से मुझे समझा कर यूँ बोली पत्नी
बात करते कुछ और, कहते कुछ और हो
मेरा ही मतलब समझा कर, बोली पत्नी
रोज सुबह से ऐसे ही शाम कर देते हो
क्या हाथ में कभी आती है एकभी दमड़ी
तुम अब करो वहीसब जो कुछ कहूँ मैं
बाल की खाल उतारी, निकल आयी चमड़ी
देखो, महनत-मुशक्कत तो करते ही हो
अब हर अपनी बात का करो बड़ा गुन-गान
ऐसे ही देश की रोज़ करते हो तुम सेवा
अबआगे से कहा करो ‘मेरा देश महान’
सुन उसकी बात बात समझ कुछ आयी
देन-दारों से जा कर हमने नज़र मिलाई
अब देखो भैय्या लाठी के संग भैंस भी आयी
काम कोई किया, न किया, तूती खूब बजायी
२००५
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