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दोस्त


दोस्त


ये चहरों थे दोस्त, दोस्ती में बहुत प्यार था

थे वे सब गरीब, बहुत बड़ा उनका संसार था


पहला बोला, मैं कहीं से दुल्हन एक लाऊँगा

बनवा बनवा के पकवान तुम्हे खिल्वऊंगा

बोला दूजा, कह पापा से गाडी मैं बनवाऊँगा

बिठा कर उसी, में दुल्हन तेरी घर लाऊंगा


तीजा बोला, मैं एक अच्छी सी साडी लाऊंगा

दुल्हन को तेरी उसी लाल साडी मे सज्वाऊंगा


चौथा बोला यारों छोडो खाना ,गाडी और साडी

मैं दुल्हन तेरी अपने रंग महल मैं ले जाऊँगा


कितनी जाने ऐसी ही बातें हुई वहां पर फेल

लगे हँसने चार्रो, हुआ बहुत दिलों मैं मेल



२००७


 
 
 

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