दर्द
- Naveen Trigunayat
- Aug 22, 2020
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दर्द
यों रहेगा मेरी शामों को इंतज़ार तेरी बाहों का.
तेर चेहरे के हर रंग, आधे-अधूरे अरमानों का
क्या हसरतें, क्या सपने, कुछभी पास न रहा
समां योंही गुजरता गया, कुछभी याद न रहा
झंझानाओ ख़ामोशी के तार, रोक दो खामोशी
ख्यालों को फिर सजाओ. कि छा जाए मदहोशी
यों ही रहेगा हर सुबह को इंतज़ार तेरी साँसों का
आँखोंका नूर, दिलकी धडकन , हर वार निगाहोंका
योंही रहेगा हर शाम इंतज़ार , मिलने कि आरज़ू
आजा कि अब तो रह्जाय मेरे प्यारकी आबरू
हर लम्हा क्या सदा यूंही तरसेगा तेरे दीदार को
सुकूने-ए-वक्त का अहसास दीवाना बना रहा
ठंडी साँसों मैं भी आरही गर्मी रंगीं तस्सवुर की
अरमानो का ले सहारा, तेरी तस्वीर बना रहा
गहरा गया है खुमार, बस तेरे आने की देर है
बदली से झांक चंदा कैसे कैसे नगमे सुना रहा
मेरा प्याला हुआ खाली, सुरूर आने की देर है
महकी हवाओं मैं डूबा जूनून भी कुछ सुना रहा
कजरारी सी आँखें, अलमस्त तेरा तकने का अंदाज़
लहजे में कसक, ज़ालिम बड़ी तेरी हंसी की खनक
रुक-रुक के तेरा चलना, लचकने का नया अंदाज़
रवानगी से परेशां, आँखों में मिलने की एक ललक
२००७
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