फितूर
बैठे ठाले
ख़याल दिल में गूंजा
कर डालूँ
लगे हाथों एक पूजा
पूजा
मख्खंबाजों की
संवारी-संवारी
तकदीरों वालों की
जो सर पर
रख कर हमारे पाँव
लगा गए
जिंदगी का दांव
ख्वाबी
खिचड़ी पकाते हैं दिन में
दिमाग यूँ
रहता है सूजा-सूजा
चल अब उठूँ,
कर डालूँ आज ये पूजा
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