बेखबर
- Naveen Trigunayat
- Aug 22, 2020
- 1 min read
बेखबर
गीत एक अरसे से गा रहा हूँ
नहीं जानता यह अरसा क्या है
सदियों से जिला रही उम्मीद मुझे
नहीं जानता वक्त का राज क्या है
बीती बातें खुद भुलाना चाहता हूँ,
बस बातों में ढल के रह जाता हूँ
सरगम भी अब तो याद नहीं
नगमे सब मैं पुराने ही गा रहा हूँ
टूट चुके हैं कई साजों के तार
इनमे नहीं जानता राज़ क्या है
गुनगुना रहा बिसरी धुन कोई
नहीं जानता बेसुरा राग क्या है.
अब सुनता कोई नहीं गीत मेरे
नहीं जानता अलफ़ाज़ क्या हैं
बेसिर-पैर हैं सारे अरमां मेरे
नहीं जानता सुर-ताल क्या हैं
१९८१
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